
71 वर्ष की उम्र में जब लोग सुकून के साथ घर पर बैठकर जिंदगी बिताते हैं तो दूसरी तरफ ये बुजुर्गजीवन से संघर्ष कर रहा है. आंखों में उम्मीद जगाए हाथों को लोगों के सामने फैलाए पीठ पर अपनी जीवन संगनी को टांगे ये भीख मांगने को मजबूर है. शहर के विभिन्न चौक चौराहों की सड़कों पर ये ऐसे ही नजर आता है.
दरअसल, इसकी पत्नी साको देवी को पैरों की बीमारी हुई है जो चल नहीं सकती. इलाज के लिए पैसे नहीं है और कोई फरियाद सुनने वाला नहीं है. लिहाजा, राम प्रवेश भीख मांगकर पैसे इकट्ठा कर रहा है. राम प्रवेश ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इडिया में करीब 28 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं. कुछ समय पहले तक ये दुर्ग में पदस्थ था.
लेकिन अचानक इसे काम से निकाल दिया गया. इतना ही नहीं जिंदगी भर की कमाई भी अभी तक नहीं दी गई. राम प्रवेश के अनुसार करीब 8 लाख से अधिक उसे लेना है, लेकिन पैसे नहीं दिए जा रहे है. इस संबंध में इसने कलेक्टर से भी गुहार लगाई, लेकिन समस्या का हल नहीं हो सका.
हर रोज 8-10 घंटे तक पीठ पर चावल की बोरियां ढोने वाला शक्स आज मजबूरीवश अपनी जीवन संगनी के भार को पीठ पर ढो रहा है.
आंखों में आंसू लिए रामप्रवेश कहते है, ‘मुझे भीख मांगना पसंद नहीं लेकिन पत्नी के इलाज में खर्च होने वाले हजारों रुपए इकट्ठे करने के लिए मजबूरी में भीख मांगना पड़ रहा है’. सरकारी सिस्टम की लचर व्यवस्था का इससे बड़ा उदाहरण कोई और नहीं मिल सकता.












